शक्ति स्वरूपा
हे नारी तू आगे बढ़ ,
अंधेरे रास्तों से मत डर।
कई भेड़िये की निगाहें तुझे देखेंगे ,
कई बाधाएं तुझे टोकेंगे।
लेकिन तुझे आगे बढ़ना ही होगा ,
अपने कर्तव्य को निभाना ही होगा।
भूल मत तेरे अंदर ही है महाशक्ति की निवास,
जिससे तू कर सकती है शत्रुओं को परास्त।
मत समझ खुद को तू अबला,
इस समाज को आत्मनिर्भर बनकर दिखला।
तेरे आगे बढ़ने से ही समाज का होगा कल्याण ,
कायरता को धूल चटा होगी तेरी जयगान ।
मां दुर्गा ने जैसे किया था महिषासुर का नाश,
उसी तरह राह के भेड़िए को कर दे तू परास्त।
उठ जा अब तू भूल मत तू है शक्ति स्वरूपा ,
साथ है तेरे सिंघवाहिनी त्रिशूलधारीणी माँ दुर्गा।
उत्तीर्णा धर