Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2021 · 1 min read

व्यथा

अपने घर के अंदर
शराबियों के झुंड को देखकर,
उनके बीच अनर्गल बहस
और गाली – गलौच को सुनकर ।
शहर से छुट्टी पर आया हुआ एक माँ के लाल
की व्यथा कौन जाने ?
परेशान होकर माँ से
शिकायत करने लगा ।
कि,
माँ इनको बोलो कि,
यहां से चले जाएं ।
इनमे कोई सभ्यता नाम की,
चीज ही नही है ।
बाहर निकालो इन्हें,
नही तो मैं भगाऊँ क्या ?
सुनकर माँ बेटे को रोककर बोली,
बेटे बुरा तो मुझे भी लगता है पर,
मेरी मजबूरी है ।
ये तू जो शहर में रहकर
पढ़ाई कर रहा है ना
इन्ही लोगो को दारू बेचकर
तेरे कॉलेज की फीस
दे रही हूं ।
बस तेरे पढ़ाई में कोई
बाधा न आये ।
इसलिए मुझे ये सब सहन करना पड़ता है ।
अब इस बालक की “व्यथा” बस बालक
ही जाने ।

गोविन्द उईके

Language: Hindi
2 Likes · 606 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अपने-अपने संस्कार
अपने-अपने संस्कार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
दोस्ती में हर ग़म को भूल जाते हैं।
Phool gufran
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सन्मति औ विवेक का कोष
सन्मति औ विवेक का कोष
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कब बोला था / मुसाफ़िर बैठा
कब बोला था / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
हिन्दी दोहा- मीन-मेख
हिन्दी दोहा- मीन-मेख
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आंखों में नींद आती नही मुझको आजकल
आंखों में नींद आती नही मुझको आजकल
कृष्णकांत गुर्जर
********* आजादी की कीमत **********
********* आजादी की कीमत **********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
The thing which is there is not wanted
The thing which is there is not wanted
कवि दीपक बवेजा
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
वक्त थमा नहीं, तुम कैसे थम गई,
लक्ष्मी सिंह
संघर्ष जीवन हैं जवानी, मेहनत करके पाऊं l
संघर्ष जीवन हैं जवानी, मेहनत करके पाऊं l
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
2686.*पूर्णिका*
2686.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
👌काहे का डर...?👌
👌काहे का डर...?👌
*Author प्रणय प्रभात*
"आसानी से"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी तो धड़कनें भी
मेरी तो धड़कनें भी
हिमांशु Kulshrestha
*बहुत ज्यादा न सुख की चाह, हे भगवन मुझे देना 【मुक्तक 】*
*बहुत ज्यादा न सुख की चाह, हे भगवन मुझे देना 【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
माॅं लाख मनाए खैर मगर, बकरे को बचा न पाती है।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
कभी गिरने नहीं देती
कभी गिरने नहीं देती
shabina. Naaz
भारत सनातन का देश है।
भारत सनातन का देश है।
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
कभी कभी कुछ प्रश्न भी, करते रहे कमाल।
Suryakant Dwivedi
Maine anshan jari rakha
Maine anshan jari rakha
Sakshi Tripathi
मैं रात भर मैं बीमार थीऔर वो रातभर जागती रही
मैं रात भर मैं बीमार थीऔर वो रातभर जागती रही
Dr Manju Saini
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात  ही क्या है,
सारी तल्ख़ियां गर हम ही से हों तो, बात ही क्या है,
Shreedhar
राखी सांवन्त
राखी सांवन्त
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आज अचानक आये थे
आज अचानक आये थे
Jitendra kumar
"Communication is everything. Always always tell people exac
पूर्वार्थ
जीवन अपना
जीवन अपना
Dr fauzia Naseem shad
चाँद पूछेगा तो  जवाब  क्या  देंगे ।
चाँद पूछेगा तो जवाब क्या देंगे ।
sushil sarna
Loading...