Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2021 · 2 min read

व्यक्त करने हैं व्यथा

————————————————–
वक्त नहीं बचा था व्यक्त करने व्यथा।
पीड़ा आसमान का ही बहुत था,
वह सुनाने में विभोर।
मुझे अवसर नहीं मिला।
इसलिए मृत्यु के साथ हो लिया।

उसके साथ न दर्द था,न पीड़ा,न दु:ख।
हँसता रहा सारा रास्ता मेरा मुर्दा मुख।

पीछे कुछ छूट गया था
पर,मैं उससे अभाव ग्रस्त नहीं था।
अब भविष्य की सोचत हुआ व्यस्त था।

पुनर्जन्म की कल्पनाओं में सारा दिन।
आपदाओं से निपटने के
तरीके खोजते सारा पल-छिन।

पिछला जन्म किसी पूर्व योजना के बगैर
अनायास हो गया था।
मात-पिता चुनने में
बाकी अनुप्रास रह गया था।

अब साक्षात्कार लूँगा ।
उसके पास भ्रष्टाचार का कितना अनुभव है
पूछूंगा ।
हत्या करने में हिचकिचाएगा तो नहीं।
उधार लेगा तो चुकाएगा तो नहीं।

उसके धन-धान्य का,ऐश्वर्य का पता पूछूंगा।
छिन,झपट लेने की क्षमता का विवरण माँगूँगा।
ऐसे ही अब जन्म नहीं ले लूँगा।

जन्म लेने के पूर्व
शिशु की इच्छा पूछे जाने की परिपाटी
करूंगा प्रचलित।
पैदा कर धूल में पटक दिये जाने के विरोध में
सारे शिशुओं को आंदोलित।

मज़ाक लिया है समझ पैदा करना शिशु।
असुरक्षा की भावना लेकर पैदा होने को
बनाऊँगा ‘इशू’।

बीती जिंदगी में बाकी रह गया था
मेरा अहंकार करना।
उचित देखभाल के कारण लोगों का
बलात्कार करना।

पूछूंगा भावी उम्मीदवार से राजनैतिक रसूख।
बता दूंगा, मेरी उच्छृंखलता में न होने दे
कोई भूल-चूक।

जन्म के लिए होने से पूर्व प्रस्तुत,
पूछ लूँगा संस्कार की कथा अवश्य।

बौद्धिक,आर्थिक या आध्यात्मिक संस्कार देगा?
या असंस्कृत छोड़ देगा?

आध्यात्मिक अमान्य है।
बौद्धिक में माथापच्ची है ज्यादा
आर्थिक दिये जाने का संकल्प करेगा तो
मुझे तो आदमी बनना सामान्य है।

अध्यात्मिकता में पुरोहित के डरावने भाग्य-कथा
और
ईश्वर के आश्वासनों से नपुंसक रहूँगा।
बौद्धिकता के कारण कल्याण सबका सोचता हुआ
खुद का,बिसार डालूँगा।

हम शिशु रोने के लिए पैदा नहीं होते।
अपना भविष्य खोने के लिए नहीं होते।
लागू करो नियंत्रण।
सरकारें भी करे मंथन।
———————————————–

Language: Hindi
1 Like · 227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
परी
परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कलाकृति बनाम अश्लीलता।
कलाकृति बनाम अश्लीलता।
Acharya Rama Nand Mandal
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
2996.*पूर्णिका*
2996.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रोला छंद :-
रोला छंद :-
sushil sarna
किया है तुम्हें कितना याद ?
किया है तुम्हें कितना याद ?
The_dk_poetry
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
बट विपट पीपल की छांव ??
बट विपट पीपल की छांव ??
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
Vipin Singh
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
🇭🇺 श्रीयुत अटल बिहारी जी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
काश कभी ऐसा हो पाता
काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
समान आचार संहिता
समान आचार संहिता
Bodhisatva kastooriya
वो मुझे रूठने नही देती।
वो मुझे रूठने नही देती।
Rajendra Kushwaha
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
Kshma Urmila
प्रेम एकता भाईचारा, अपने लक्ष्य महान हैँ (मुक्तक)
प्रेम एकता भाईचारा, अपने लक्ष्य महान हैँ (मुक्तक)
Ravi Prakash
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
‘1857 के विद्रोह’ की नायिका रानी लक्ष्मीबाई
कवि रमेशराज
पूस की रात
पूस की रात
Atul "Krishn"
इंकलाब की मशाल
इंकलाब की मशाल
Shekhar Chandra Mitra
बिंदेश कुमार झा
बिंदेश कुमार झा
BINDESH KUMAR JHA
Believe,
Believe,
Dhriti Mishra
राखी (कुण्डलिया)
राखी (कुण्डलिया)
नाथ सोनांचली
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
"हाथों की लकीरें"
Dr. Kishan tandon kranti
अपना - पराया
अपना - पराया
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
“पसरल अछि अकर्मण्यता”
DrLakshman Jha Parimal
💐प्रेम कौतुक-563💐
💐प्रेम कौतुक-563💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
माफ करना, कुछ मत कहना
माफ करना, कुछ मत कहना
gurudeenverma198
■ सनातन सत्य...
■ सनातन सत्य...
*प्रणय प्रभात*
Loading...