माफ करना, कुछ मत कहना
कल को अगर मैं तुमको,
पहचान नहीं सकूँ,
और तुमको दूँ टूटा जवाब,
या भूल जाऊं अपनी कसमें,
तुमसे अपनी यह मोहब्बत,
और बेच दूँ ईमान दौलत के लिए,
माफ करना, कुछ मत कहना।
हाँ, मैंने तुमको भरोसा दिलाया था,
कि नहीं तोड़ूंगा तुमसे रिश्ता,
चाहे छोड़ना पड़े अपनों का साथ,
नहीं भूलूंगा कभी मैं तुमको,
चाहे करनी पड़े जगत से दुश्मनी,
लेकिन समय एक सा नहीं रहता है,
और बदल जाये यदि मेरे भी विचार,
माफ करना, कुछ मत कहना।
मैं मांग रहा हूँ आज तुमसे,
खुशी और सम्मान अपने लिए,
तेरा हाथ और साथ जिंदगी के लिए,
तुमको अपना ख्वाब- हमसफर मानकर,
लेकिन कभी उदासीन हो तुम मेरे प्रति,
और करें रोज तू मेरा मूड खराब,
ऐसे में कर दूँ अगर तेरा अपमान,
किसी महफ़िल या मजलिस में,
माफ करना, कुछ मत कहना।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)