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10 Jan 2019 · 1 min read

व्यंग्य रचना

——-ग़ज़ल——

कल तुम्हारे घर भी नेता जाएगा
प्यार से फिर हाल पूछा जाएगा

वोट की खातिर —–सुनों ऐ दोस्तों
हाथ जोड़ा——पाँव चूमा जाएगा

पाँच सालों तक न ली जिसने ख़बर
हर कोई अब उनसे पूजा जाएगा

इस दफ़ा दिन अच्छे आएँगे यहाँ
ये यक़ी सबको दिलाया जाएगा

सोच कर अब — वोट करना है हमें
झूठ से पर्दा ——– हटाया जाएगा

ग़फ़लतों सेअब निकल “प्रीतम” ज़रा
वरना फिर धोख़ा यहाँ खा जाएगा

प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)

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