Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2024 · 1 min read

“वो लालबाग मैदान”

“वो लालबाग मैदान”
जगदलपुर की शान,
वो लालबाग मैदान।
सुन्दर लगती पेड़ों की कतारें
हरे-भरे खूबसूरत नजारे
खुली वादियाँ खुले आसमान
जैसे कोई सपनों के जहान
खींचते हर एक का ध्यान,
वो लालबाग मैदान।

2 Likes · 2 Comments · 34 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
अपनी मंजिल की तलाश में ,
अपनी मंजिल की तलाश में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
"Radiance of Purity"
Manisha Manjari
बारिश की बूंदे
बारिश की बूंदे
Praveen Sain
Micro poem ...
Micro poem ...
sushil sarna
नन्दी बाबा
नन्दी बाबा
Anil chobisa
*लोकमैथिली_हाइकु*
*लोकमैथिली_हाइकु*
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
दो शे'र ( ख़्याल )
दो शे'र ( ख़्याल )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
Irritable Bowel Syndrome
Irritable Bowel Syndrome
Tushar Jagawat
तस्वीर तुम इनकी अच्छी बनाओ
तस्वीर तुम इनकी अच्छी बनाओ
gurudeenverma198
നല്ല നാളുകൾ.
നല്ല നാളുകൾ.
Heera S
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
बेदर्द ज़माने ने क्या खूब सताया है…!
पंकज परिंदा
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
मुट्ठी में बन्द रेत की तरह
Dr. Kishan tandon kranti
ढोल  पीटते हो  स्वांग रचाकर।
ढोल पीटते हो स्वांग रचाकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
गीत - मेरी सांसों में समा जा मेरे सपनों की ताबीर बनकर
गीत - मेरी सांसों में समा जा मेरे सपनों की ताबीर बनकर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
4629.*पूर्णिका*
4629.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
summer as festival*
summer as festival*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ज़िंदगी के रंगों में भरे हुए ये आख़िरी छीटें,
ज़िंदगी के रंगों में भरे हुए ये आख़िरी छीटें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
तेवरी का आस्वादन +रमेशराज
कवि रमेशराज
Why am I getting so perplexed ?
Why am I getting so perplexed ?
Chaahat
जाने बचपन
जाने बचपन
Punam Pande
नियम
नियम
Ajay Mishra
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
मीडिया, सोशल मीडिया से दूरी
Sonam Puneet Dubey
**OPS माँग भरा मुक्तक**
**OPS माँग भरा मुक्तक**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल __आशिकों महबूब से सबको मिला सकते नहीं ,
ग़ज़ल __आशिकों महबूब से सबको मिला सकते नहीं ,
Neelofar Khan
"टूटने के लिए कुछ होना भी तो चाहिए। फिर चाहे वो आस हो, विश्व
*प्रणय*
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
चाँद सी चंचल चेहरा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
एक स्वच्छ सच्चे अच्छे मन में ही
एक स्वच्छ सच्चे अच्छे मन में ही
Ranjeet kumar patre
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
समझ आये तों तज्जबो दीजियेगा
समझ आये तों तज्जबो दीजियेगा
शेखर सिंह
Loading...