वो रात
———-
ज़िंदगी का ज़िंदगानी का
भरी भागदौड, आबादी का
वो रात ,वो रात……
इस भीड में
भला किसे वक्त
कौन सुखी, चैन कहाँ
हर कोई बैचैन यहाँ
वो वक्त. . .
आधी रात का
सुनसान सी सडकें
जगमगाती रोशनी
क्या नज़ारा है . . .
अब सुकून है ज़रा
कुछ शांति सी है
दिखे तो बस मौन ये जहाँ
उन पलों को
समेट लो ज़रा.
गज़ब का सुकून सुकून के वो पल
काश ऐसा ही वक्त मिले कहीं
ज्यादा नहीं दो पल सही
तज़ुर्बा है खुद का, बस बतला रहा हूँ
हो सकता हूँ गलत मैं
खुदी में जो गा रहा हूँ. .
मगर यकीं है खुद पर
तभी बतला रहा हूँ
ज़िंदगी का ज़िंदगानी का
वो रात … वो रात ……