वो मेरे प्रेम में कमियाँ गिनते रहे
मैं अस्क पे अस्क बहता रहा ,
वो मेरे अस्कों में आशिया बनाते रहे
मैं जख्म पे जख्म खाता रहा ,
वो मेरे जख्मों में नमक लगाते रहे ,
मैं दर्द पे दर्द सहता रहा
वो मेरे दर्द में खुशियां मानते रहे
मैं प्रेम पे प्रेम करता रहा
वो मेरे प्रेम में कमियाँ गिनते रहे
मैं बफा पे बफा निभाता रहा
वो मेरे बफा में शक जताते रहे
मैं नजरों पे नजर बचाता रहा
वो मेरे नजरों में धूल झोंकते रहे
नीरज मिश्रा ” नीर ” बरही मध्य प्रदेश