वो प्यार नहीं है
बंध जाए तारीखों में वो प्यार नहीं है
करना पड़े इज़हार तो वो प्यार नहीं है
प्यार कहां बंधा करता तारीखों में
प्यार कहां रुका करता तारीखों में
प्यार सदा झरने सा अविरल बहता है
आंखों से ही बिना कहे सब कहता है
प्यार कब सुख पाया करता तारीफों में
प्यार कब झुक जाया करता तारीफों में
जो खुद ही सुख पा जाए वो प्यार नहीं है
दूजे को दुख दे जाए वो तो प्यार नहीं है
प्यार का चाहे कभी भी न इज़हार करो
पर करो तो दिल से इक सच्चा प्यार करो
अशोक सोनी
भिलाई ।