Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2018 · 2 min read

नमामि गंगे हर हर गंगे

नमामि गंगे हर हर गंगे
==============

नमामि गंगे सुनते सुनते
इक दिन हमने भी ये सोचा
गंगा को हम भी दे आएं
पापों का सब लेखा जोखा
स्वच्छ मिलेगी गंगा भी अब
तन मन निर्मल हो जाएगा
अनजाने जो पाप हुए हैं
उनका मोचन हो जाएगा
लगा लगा कर डुबकी जल में
हो जाएंगे मस्त मलंगे
निर्मल मन निर्मल तन होगा
खूब कहेंगे हर हर गंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे
नमामि गंगे हर हर गंगे

फिर चिंतन का चला सिलसिला
मन पर बस गंगा ही छाई
निर्मल गंगा के प्रवाह की
आस स्वतः मन में जग आई
अबकी बार कुम्भ में देखो,
स्वच्छ मिलेगी हर हर गंगे
साफ रहेगा गंगा का जल,
धन्य धन्य हे नमामि गंगे
साधू, स्वादू, योगी ढोंगी,
नहा नहा होवेंगे चंगे
सबके पाप हरेगी गंगा ,
सभी कहेंगे हर हर गंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे,
नमामि गंगे हर हर गंगे

नमामि गंगे के चिंतन की,
धारा भी बहती रहती है
स्वच्छ बहे गंगा की धारा,
ये मंथन करती रहती है
अरबों खरबों खर्च हो गया,
गंगा मैली ही रहती है
आरोपों प्रत्यारोपों की,
रस्म सदा निभती रहती है
नेता अभिनेता भी इसमें.
धोकर पाप हुए हैं चंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे,
नमामि गंगे हर हर गंगे

परदे के पीछे भी गंगा,
अविरल ही बहती रहती है
हमको तो ये मैली गंगा,
फलदायी होती रहती है
गंगा चाहे साफ नहीं हो,
धन दौलत आती रहती है
साझेदारी नेता और
दलालों की निभती रहती है
मिलकर खाओ इस हमाम में,
हम भी नंगे तुम भी नंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे। 2

आरक्षण की भी गंगा है जो
संविधान से बढ़ी पली है
ये गंगा भी मलिन हो गई,
दलितों को ही रही छली है
पीढ़ी पीढ़ी नहा नहा कर,
दलित आज तक दलित रहा है
और इसी गंगा के कारण,
यदा कदा उत्पात हुआ है
जान माल का नाश हुआ है
राजनीति का ह्रास हुआ है
लोकतंत्र उपहास हुआ है
नेता का मधुमास हुआ है
फसल वोट की तभी उगेगी,
जब जब यहाँ छिड़ेंगे दंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे 2

गंगा के ही तट पर देखो
याचक भी बैठे रहते हैं
भक्त सभी गंगा स्नान कर
दान पुण्य करते रहते हैं
मँहगी मँहगी गाड़ी वाले
पुण्य कमाने जब आते हैं
इनकी बाँछें खिल जाती हैं
सब भरपूर दान पाते हैं
नेता अफसर जब आते हैं
फेर नज़र निकले जाते हैं
याचक भी अंतर्यामी हैं
नजरों से कहते जाते हैं
भीख यहाँ से नहीं मिलेगी
ये तो हैं खुद ही भिखमंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे। 2

मेरी भी आदत खराब है,
दर्पण साथ लिए फिरता हूँ
सबका हित चिंतन करता हूँ
दर्पण दिखलाता रहता हूँ
निंदक बनकर सब मित्रों के
आँगन बुहराता रहता हूँ
लेकिन मित्रों के स्वभाव से
सदा उपेक्षा ही पाता हूँ
गलत नहीं मैं सच कहता हूँ
फिर भी बुरा बना रहता हूँ
मेरा मन मुझसे कहता है,
छोड़ यार तू मत ले पंगे
हर हर गंगे हर हर गंगे
नमामि गंगे हर हर गंगे 2

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद
सर्वाधिकार सुरक्षित

722 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अधिकार और पशुवत विचार
अधिकार और पशुवत विचार
ओंकार मिश्र
2441.पूर्णिका
2441.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
गर्दिश का माहौल कहां किसी का किरदार बताता है.
कवि दीपक बवेजा
गुरु अमरदास के रुमाल का कमाल
गुरु अमरदास के रुमाल का कमाल
कवि रमेशराज
समय
समय
Paras Nath Jha
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
1-कैसे विष मज़हब का फैला, मानवता का ह्रास हुआ
Ajay Kumar Vimal
सदा बेड़ा होता गर्क
सदा बेड़ा होता गर्क
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
" मंजिल का पता ना दो "
Aarti sirsat
एक शेर
एक शेर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
जब कोई दिल से जाता है
जब कोई दिल से जाता है
Sangeeta Beniwal
*घर*
*घर*
Dushyant Kumar
जिस काम से आत्मा की तुष्टी होती है,
जिस काम से आत्मा की तुष्टी होती है,
Neelam Sharma
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
लोग ऐसे दिखावा करते हैं
ruby kumari
आहुति  चुनाव यज्ञ में,  आओ आएं डाल
आहुति चुनाव यज्ञ में, आओ आएं डाल
Dr Archana Gupta
लक्ष्मी
लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
सेहत या स्वाद
सेहत या स्वाद
विजय कुमार अग्रवाल
जो मेरे लफ्ज़ न समझ पाए,
जो मेरे लफ्ज़ न समझ पाए,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
अमर काव्य
अमर काव्य
Pt. Brajesh Kumar Nayak
🙅खरी-खरी🙅
🙅खरी-खरी🙅
*Author प्रणय प्रभात*
इक चितेरा चांद पर से चित्र कितने भर रहा।
इक चितेरा चांद पर से चित्र कितने भर रहा।
umesh mehra
💐Prodigy Love-30💐
💐Prodigy Love-30💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नारी जागरूकता
नारी जागरूकता
Kanchan Khanna
इन आँखों को हो गई,
इन आँखों को हो गई,
sushil sarna
मकड़ी ने जाला बुना, उसमें फँसे शिकार
मकड़ी ने जाला बुना, उसमें फँसे शिकार
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शब्द
शब्द
Ajay Mishra
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ओसमणी साहू 'ओश'
"बताया नहीं"
Dr. Kishan tandon kranti
मार   बेरोजगारी   की   सहते  रहे
मार बेरोजगारी की सहते रहे
अभिनव अदम्य
Loading...