सेहत या स्वाद
सेहत या स्वाद
एक समय था जब घर घर में,घर का बना ही खाना खाया जाता था।
हरेक सदस्य जो खाना चाहता था,बस वही बनाया जाता था।।
एक समय था जब छोटा परिवार भी,पंद्रह बीस का पाया जाता था।
परिवार में एक समय का खाना बीस पच्चीस का बनाया जाता था।।
सब मिलजुल कर भोजन करते थे, भोजन भी ज्यादा खाया जाता था।
फिर भी हरेक सदस्य घर का भरपूर सेहतमंद ही पाया जाता था।।
आज हर एक घर में स्वाद सेहत पर भारी पाया जाता है।
इसलिए घर घर में बाजार का खाना ही मंगाया जाता है।।
खाने के नाम पर हर घर में पीज़ा बर्गर या चाईनीज खाया जाता है।
पार्टी के नाम पर सोडा व्हिस्की और रम का पैग बनाया जाता है।।
देर से सोना और देर से उठना आजकल घरों में आम पाया जाता है।
सेहत बिगाड़ने वाली हर आदत को आजकल नया चलन बताया जाता है।।
कहे विजय बिजनौरी आज घर घर में पैसा तो खूब कमाया जाता है।
बच्चों की सेहत ठीक नहीं रहती और बुजुर्गो का स्वाद बिगाड़ा जाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।