वो पास आने लगी थी
कहती नहीं थी कुछ
बस पास आकर बैठ जाती थी
मस्करी थी बहुत, लेकिन
दिल चुराने की अदा उसे आती थी
अपनी मुस्कान का जादू
वो मुझपर आजमाने लगी थी
छोड़कर वो अपनी गली को
मेरी गली में ही रहने लगी थी
भगवान नहीं हूं इंसान हूं मैं
मुझे भी वो अच्छी लगने लगी थी
अब उसके लिए मेरे दिल में
जाने क्यों मोहब्बत पलने लगी थी
वो हमसे नज़रें मिलाने लगी थी
अब दिल पर हमारे छाने लगी थी
कह दिया हमने भी, हम शादीशुदा है
करते भी क्या,
वो इतना पास जो आने लगी थी।