वो पत्थर
हमारा पास है वो पत्थर
जिसे हम दिल पे रखते…है…
ये अपना हौसला है के देखो
हम हर दिन सवारते हैं।
तुम्हारी हर फरमोशी को…
हम बखूबी समझते हैं….
ये ऐसा दौर है जिसमे…
नहीं रिश्ते संभालते हैं……
तुम्हें क्या पास रिश्तो का
ये तो बस खेल है सब कुछ ……
जिन्हे एहसास होता है…
वो ही एहसास करते हैं…
किसी को बे इज्जत करना
तुम्हें तो खूब आता है
किसी के दिल पर क्या गुजरी…
कहा ये सोच सकते हैं…
पलटकर फिर नहीं आते
वो ऐसे लोग होते हैं…
वो तुम से कुछ नहीं
चाहते हैं।
ना कोई आस रखते है….
तुम्हारी रूह तक को
होगी तुम से किसी दिन खुद शिकायत….ये
के अपनों से कही
अपने ये बर्ताव करते ..
हमारे पास है वो पथर
जिसे हम दिल पर रखते हैं
ये अपना हौसला है देखो के
हम हर दिन सवारते हैं
ShabinaZ
……✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
शबीनाज़ी