वो निगहबान हो गए
जो घरवाले रहे वो अब मेहमान हो गए,
वर्षों पुराने दुश्मन अब निगहबान हो गए,
कभी जो हुआ करते थे जंगल हरे,
वो सब अब श्मशान हो गए।
सहे हैं दर्द हमने ताउम्र जिनके खातिर,
वो चंद बूंदें ज़हर की पीकर भगवान हो गए।।
© बदनाम बनारसी
जो घरवाले रहे वो अब मेहमान हो गए,
वर्षों पुराने दुश्मन अब निगहबान हो गए,
कभी जो हुआ करते थे जंगल हरे,
वो सब अब श्मशान हो गए।
सहे हैं दर्द हमने ताउम्र जिनके खातिर,
वो चंद बूंदें ज़हर की पीकर भगवान हो गए।।
© बदनाम बनारसी