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30 May 2024 · 1 min read

वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे

वो नाकामी के हजार बहाने गिनाते रहे
हम जूतों में पांव के छाले छुपाते रहे

ऐसे भुल्लकड़ हैं मोबाइल में खो गए
और घंटों मोटर का पानी गिराते रहे

कामयाबी के परचम हाथ में लहराये
हसद में लोग क्या- क्या सुनाते रहे

मंजिल से इक बार फिसल क्या गये
मेरे आंसु से दिल की आग बुझाते रहे

ऐसे तो कभी मतलब नहीं रखते हैं
चोट लगी तो हाल पुछ मुस्कुराते रहे

अपने उलझन से तो हैं ही परेशान
दूसरे अपना सुनाकर पकाते रहे

वो ढिठाई से मेरा हक मारते हैं
हम हक मांगने में शरमाते रहे।

नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर

Language: Hindi
1 Like · 33 Views
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