“वो दो महीने”
“वो दो महीने”
दिसम्बर अनुभव बाँटता रहा
विवेक के नवलोक में,
जनवरी को जीवन शुरू है करना
नव-वर्ष के आलोक में।
दोनों इस कदर जुड़े हैं मानो
धागे के दो छोर,
अलग-अलग अन्दाज है मगर
साथ निभाते पुरजोर।
“वो दो महीने”
दिसम्बर अनुभव बाँटता रहा
विवेक के नवलोक में,
जनवरी को जीवन शुरू है करना
नव-वर्ष के आलोक में।
दोनों इस कदर जुड़े हैं मानो
धागे के दो छोर,
अलग-अलग अन्दाज है मगर
साथ निभाते पुरजोर।