वो दिन सुहाने
डा ० अरुण कुमार शास्त्री , एक अबोध बालक – अरुण अतृप्त
* वो दिन सुहाने *
जिन्दगी के पुराने
पन्ने जो खोले
दिन खिलखिलाते मिले
रोशनी से भरे //
तुम मिले वो मिला
और हम मुस्कुराते मिले //
तन्हाई कहीं न मिली
गर दिखी तो मुहं
छुपाती मिली
रंग मौसम के
रंग बिरंगे मिले
सुनेहरी धूप में हम नहाते मिले //
जिन्दगी के पुराने
पन्ने जो खोले
दिन खिलखिलाते मिले
रोशनी से भरे //
तुम मिले वो मिला
और हम मुस्कुराते मिले //
दर्द का कोई
निशा तक न था
दूर दूर तक कोई
जिस से मिले हम
हर कोई आपस में हिलमिलाते मिले //
जिन्दगी के पुराने
पन्ने जो खोले
दिन खिलखिलाते मिले
रोशनी से भरे //
तुम मिले वो मिला
और हम मुस्कुराते मिले //
लबों पर तराना
प्यार का तैरता था
हर किसी के
सुकुन से भरा
दर्द सबके दुबकते
मिले कोने में
हाँथ लेकर हाँथ में हम सभी
नग्मा मोहब्ब्त का
गुनगुनाते चले
जिन्दगी के पुराने
पन्ने जो खोले
दिन खिलखिलाते मिले
रोशनी से भरे //
तुम मिले वो मिला
और हम मुस्कुराते मिले //