वो जीने की अब दुहाई दे रहा
वो जीने की अब दुहाई दे रहा
अश्क आँखों में उसके दिखाई दे रहा
आँखों का छिपा हुआ दर्द
अब लबों से सफाई दे रहा
राही बहुत है सफर के
हमसफ़र कोई नही दिखाई दे रहा
इंसानो की इस खूबसूरत दुनिया में
हर कोई हैवान मुझे दिखाई दे रहा
चार दिन की इस दुनिया में
झूठ ही झूठ हर तरफ दिखाई दे रहा
अंजाम से वाकिफ़ है इंसान यहां
स्वार्थ का लिबाज़ उन पर दिखाई दे रहा
मर गई रूह इंसानो की जीस्त से
ज़िंदा लाश पर लिबाज़ दिखाई दे रहा
माता पिता के चरणों का स्वर्ग
आज पत्थर की मूर्ती में दिखाई दे रहा
भूपेंद्र रावत
15/11/2017