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27 Apr 2024 · 1 min read

संवेदना की पहचान

जीवन की पहेलियों में बिखरा,🍂
रंगीन रंगो में रंगहीन हैं
मानव ही मानव से विग्रह क्यूँ है
इस युग में संवेदना की पहचान करो।।

समय के घेरे में चकरा रहा क्यूँ है 🍂
नवीन हस्तियों के मेले में ग़ुमराह क्यूँ है

बेमतलब के शोर में चिल्ला क्यूँ रहा 🍂
कलयुग के अँधेरे में छुपा क्यूँ है

भ्रष्टाचार के धोखे में फँसा क्यूँ है🍂
आँधी-तूफ़ान के चापेटे में ख़ामोश क्यूँ हैं
इस युग में संवेदना की पहचान करो।।

मौलिक एवं स्वरचित- डॉ. वैशाली वर्मा✍🏻

3 Likes · 28 Views
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