वोट मांगते देखा है।
सरस्वती तेरे पुत्रो को मैंने गिरते देखा है।
तेरा दामन स्वेत कहाँ ,दाग लगाते देखा है।
तेरे अब पूजक माता,वोट मांगते डोल रहे।
सच तेरे अनुयायिओं को ,नेता जैसे देखा है।
नाम दाम के भक्त बने तेरा सहारा लेकर माँ,
चंद कागज़ के टुकड़ों को ,ऊँचा तुझसे देखा है।
हे माँ मुझको थोड़ी सी ,सद्बुद्धि तुम दे देना।
बदल न जाऊँ इस दुनिया को ,रंग बदलते देखा है।
वोटो की ताकत से माँ ,तेरे पूजक हारेंगे।
तेरा आशीर्वाद लक्ष्मी तले कुचलते देखा है।
कलम घिसाई