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29 Apr 2024 · 1 min read

बहुत बार

बहुत बार
यूं ही रोता है
बहुत बार
आहत होता है
यह निर्दोष, निश्छल मन
प्रिय जनों के
कटु वचनों से
कटु प्रश्नों से
अनुत्तरित सवाल
बनके रह जाता है सारा जीवन

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