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12 Feb 2022 · 1 min read

वोटों का(गीतिका)

वोटों का(गीतिका)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
बहुत सस्ते में सौदा हो गया लोगों के वोटों का
किसी को दे दिया बटुआ, किसी को बैग नोटों का
(2)
बड़े लोगों से तो सेटिंग में दिक्कत कुछ नहीं आई
मगर ईमान पक्का है न जाने कैसे छोटों का
(3)
चुनावों के समय जो पार्टियाँ अपनी बदलते हैं
भरोसा कीजिए मत ऐसे बेपेंदी के लोटों का
(4)
इलैक्शन खेल बनकर रह गया शतरंज का केवल
बिछाने का हुनर यह जातियों-मजहब की गोटों का
(5)
कहाँ मिल न्याय पाया है त्वरित सस्ता अभी तक भी
उलझ कर रह गया है खेल महंगे काले कोटों का
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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