वैर भाव
वही पुरानी लीक पर चल कर तुम
बातों को कब तक यूॅं कुटते रहोगे
अपने में ही सदा लड़ लड़ कर तुम
आपस में कब तक यूॅं फूटते रहोगे
सब दिन विभिन्न जातियों में तुम
अपने मन ही मन बॅंटते रहते हो
बात बात में हुई छोटी लड़ाई पर
तुम बिना कारण कटते रहते हो
बेहतर है इस बात को हमेशा मानो
देश सेवा करना है सबसे बड़ा धर्म
मानवता की सेवा करने से बड़ा
दुनिया में नहीं है कोई बड़ा कर्म
आपस में इस तरह मतभेद होने से
एकता का बल कभी नहीं आएगा
सब दिन इस तरह तनाव में रहने से
विकास भी कहीं पीछे छूट जाएगा
साथ रहकर भी आपस में वैर भाव
अपने मन में कभी भी मत पालो
कोशिश जितनी भी तुमसे हो सके
झूठ मूठ की बातों को हरदम टालो