वेलेंटाइन दिवस 14 फरवरी
वेलेंटाइन दिवस पर मेरी नई कविता आशा करती हूँ आपको लोगों को पसंद आएगी।
तेरी यादों की पूँजी समेटे
जिंदगी यूं ही आगे बढ़ रही थी
लो फिर आज याद आई
वो तेरी प्यारी सी भूली कहानी
मेरे पहले प्यार के
प्यारे से ख्वाब थे तुम
मेरे खवाबों के प्यारे सी वजह थे तुम
आज हंसती हूँ अपनी नादानियों पर
याद आते मुझे तुम बहुत थे
बाहों में समेटे चाँद तारे
उड़ती थी मैं मस्त गगन में
चाँद की झीनी सी चांदनी में
मुस्कुराते मिले हर जगह तुम
एक ठंडी हवा के झोंके से थे तुम
तेरी खुशियों की बरसात थी मैं
वक्त यूँ बढ़ चला है आगे
पर यादें वही खड़ी रह गई है
गुजरे हुए लम्हों पर
झीना-झीना सा पर्दा गिर रहा है
जिंदगी की डगर की धूप छांव में
जिंदगी यूं ही फिसली जा रही है
वक्त है कि सब कुछ समेटे
बन बादल उड़ा जा रहा है
तेरे संग गुजारे हुए लम्हे
अपने दिल में सँजोए हुए हूँ
क्या कहूं ? मैं अब तुझसे
साथ मेरे नहीं हो पर यादें तो है।
क्योंकि —
पहला प्यार तो तुम्हीं थे ।
दीपाली कालरा