वृद्ध पिता माँ
ताटंक छन्द
16,14 की यति
वृद्ध पिता माँ से सुत देखो, दुर्व्यवहार करें ज्यादा।
बेटे और बहू मिल उनके, जीवन में करते बाधा।
भूल गए वो प्यार आपका, भूले हैं शिक्षा सारी।
सेवा करना दूर हुआ वो, आज बने अत्याचारी।
भोजन नही खिला सकते तो, क्यों देते हो तुम गाली।
कुछ तो शर्म करो अब बेटों, लोग हँस रहे दे ताली।
मेहनत कर उस मातु पिता ने, तुमको खूब पढ़ाया है।
पर नर पशु बन तुमने उनपर, आज सितम क्या ढाया है।
तुम्हें जन्म से पाला उसने, माँ ने गोद उठाया है।
एक बहू के आ जाने से, तू हो गया पराया है।
आज बहू के हाँथों से क्यों, माँ को तू पिटवाता है।
जिसने तुमको बड़ा किया पर, तुम्हें तरस ना आता है।
माँ ममता ना समझी तूने, सोच दुखी वो होती है।
तेरी इन करतूतों से माँ, छुपके-छुपके रोती है।