वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
~~°~~°~~°
आइ हम देखलहुँ शहर के बीचोबीच ,
सए शैय्यावला सुसज्जित वृद्धाश्रम।
सोचलहुँ जेऽ सभटा ठीके चल रहल अइ ,
देश सतत् प्रगति के दिस जा रहल अछि।
परंच संतानहीनता एतेक तऽ नहिं बढ़ि गेल जेऽ ,
वृद्धाश्रम ठामहिं ठाम दृष्टिगोचर भऽ रहल अछि।
देश आजाद भेल पचहत्तर वर्ष बित गेल ,
परंच पूजा उत्सव में अश्लील गान बजैत अइ।
शुभ कार्य में मांस मदिरा पसरल अइ ,
सभटा अतृप्त आत्मा मनुक्खे में घुसल अइ।
केक संस्कृति दिवस सगरे मनाउ ,
वेलेंटाइन डे,रोज डे अपनाउ।
जखन हम पौध एहने लगाएब ,
फसिलो ओहने भेटत ने हमरा।
शान ओ शौकत के चाह में,
सदाचार आ सादगी बिलाएल।
हिन्दू धर्म आ संस्कृति से की मतलब ,
सामाजिक ताना-बाना के छिन्न भिन्न कऽ दिअउ ।
सादी विवाह से की मतलब ,
बेटा पतोहू सऽ की आशा।
रिलेशनशिप कऽ पहिले चरित्रहीनता कहैत छलहुं ,
आब ओ सभटा आधुनिकता के पहचान बनल।
सुप्रीम कोर्ट सेहो मोहर लगेलक एकरा पर ,
ई आधुनिक भारत के सुप्रीम कोर्ट थिक ।
आज़ादी आओर स्वच्छंदता वाला,
धर्म के अफीम कहैत अइ ।
धर्म आओर संस्कृति के त्यागु ,
सुसज्जित वृद्धाश्रम में विराजू ।
मौलिक आओर स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २९ /०१/२०२३
माघ,शुक्ल पक्ष ,अष्टमी ,रविवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201
ई-मेल – mk65ktr@gmail.com