विषय _ पुरूषों की जिंदगी
परिवार की खातिर परिवार से दूर होना पड़ता है
पुरुषों का तो हर लम्हा उनसे लड़ता है
सर्दी हो या गर्मी या हो कोई भी मौसम
इनको तो कमाने के लिए निकलना ही पड़ता है
कमाते हुए भी खुद के लिए खर्च नहीं करते
और बात आए परिवार की तो ये पीछे नहीं हटते
ना सुबह का नाश्ता सही से किया और ना ही दोपहर का खाना सही से खा पाते हैं
ये पुरुष तो सिर्फ अपनी भूमिका परिवार के लिए ही निभाते हैं
अपने किरदार को ये मेहनत से महकाते हैं
कठिन से कठिन हालातों में सब्र रखना सिखलाते हैं
आसान नहीं है पुरूषों की जिंदगी
ये सौ दर्द सहकर भी हंसते नज़र आते है।
रेखा खिंची ✍️✍️