विषय:नारी /नारायणी/देवी
विषय:नारी /नारायणी/देवी
तू नारी है तू ही शक्ति की अवतारी है
तू ही नर की भी तो जीवन दात्री हैं
सरस्वती रूप में तू ही विद्या की अधिकारी हैं
माँ तू ही जगतपालिनी त्रिदेव भी तेरे पुजारी
मौत भी उल्टे पैर भागी थी तू ही वो सावित्री हैं
रुकना नही कभी तुम समझेंगे तेरु लाचारी हैं
आगे आगे कदम बढ़ाना सफल तुझे ही होना है
तू ही रजिया तू ही रानी लक्ष्मी युद्ध हाथ मे लेना
तू ही नारी तू शक्ति तू ही तो अवतारी हैं
तेरा रूप ये नारी पुरुषों पर भी भारी हैं
शोषण तेरा बिगाड़े क्या,खड़े रहना ही तेरी आरी हैं
बुलंद कर आवाज़ ज़रा बस सफलता की तैयारी
माता का स्वरूप तुझमे ही बस हैं,उसकी ही रूप
प्रीत, इश्क़ नाम का रूप भी तू ही माँ स्वरूप
उर्वशी सा रूप तेरा,सुकोमल सा ये शरीर
काली सा क्रोध तेरा आता हैं शांत तेरा स्वरूप
तोड़ दे उन बेड़ियों को जिन्होंने तुझे घेरा
चल उठ कलम उठा ले मंजु अब तुझको ही लिखना
नही डरना रुकना अत्याचार पर सदा लिखना
कलम तेरी आशीष है माँ का बस तुझको लिखना
तू ही सीता माता तू ही अंतरिक्ष की हैं सुनीता
तू ही सायना तू ही मेरीकॉम सब तेरा ही नाता
माँ आशीष सदा ही देना मंजु को कुछ नही आता
ताकि मैं भी बन सकूँ महादेवी सी लेखिका।
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद