विश्वास
ये जो जिंदगी मिली है सबको, कहते हैं सबको भगवान ने पैदा किया।
मिलने को भगवान से मैं मंदिर मस्जिद गिरिजा गुरुद्वारे भी गया।।
हर एक जगह ढूंढा मैने भगवान को,भगवान से पर मैं मिल नहीं पाया।
नहीं मिले भगवान जब मुझको तो थक हार कर मैं मां के पास आया।।
पूछा मैंने मां से अपनी मां भगवान कहाँ मिलेंगे तो मां ने मुझको समझाया।
कण कण में भगवान बसे है फिर भी आज तक कोई भी उनको देख ना पाया।।
किंतु निस्वार्थ भाव और सच्चे मन जिसने प्रभु का प्रतिदिन दीप जलाया।
उसके दुखों को हरा प्रभु ने और उसको अपने होने का एहसास कराया।।
आपके अपने भरोसे ने ही आपको, अपने प्रभु से मिलने का रास्ता दिखाया।
रक्खा जो विश्वास प्रभु पर इसलिए मन वांछित फल आपने पाया।।
कहे विजय बिजनौरी तुमसे प्रभु के साथ तुम खुद पर भी विश्वास करो।
और अपने प्रभु के विश्वास को ध्यान में रख कर ही हर समस्या का समाधान करो।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।