विश्वास
विश्वास का नाम
ही है जिन्दगी ।
अविश्वास है
मृत्यु समान।
एक सूक्ष्म सी सुन्दर
डोर है विश्वास।
कितनी सुदृढ़ है यह
किसी को नहीं आभास।
विश्वास का जिसको
भी नहीं है अहसास।
उसे पराई लगती हर
शह अपने आसपास ।
नारी सर्वस्व अपना तज
पति के घर है आती।
विश्वास पे सौंपती उसे
निज जीवन की थाती।
विश्वास है तो
जीवन है प्राणवान।
विश्वास है तो पत्थर
में भी है भगवान्।
विश्वास है मनुष्य के
जीवन की संजीवनी।
सर्वस्व नष्ट कर देती
है अविश्वास की अग्नि।
संदेह के विष का किया
मूरख धोबी ने पान।
जिसके फल से वन वन
भटकी मां सीता महान।
विश्वास शब्द है छोटा
पर बड़ा है उसका सार।
मानव के हर रिश्ते का
विश्वास ही है आधार।
विश्वास पर टिकी है सृष्टि
विश्वास पर यह सारा संसार।
विश्वास का ही है नाम जिन्दगी
विश्वास है तो दुनिया में है प्यार।
रंजना माथुर
जयपुर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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