विश्वासघात
आदमी के विश्वासघात ने, कितना डरा दिया
बड़े-बड़े माननीयों को, बंधक बना लिया
जो कभी थे अपने, उन्होंने उठा लिए
कुछ आदमी उनके, इन्होंने उठा लिए
वैंसे तो है नामी होटल, बंदिशें जेल से ज्यादा लिए हुए
सख्त है पहरे, कोई आ जा नहीं सकता
नहीं है फोन मोबाइल, चारा डल नहीं सकता
कितने कीमती हैं ये आदमी, करोड़ों की बात होती है
सत्ता चीज ही है ऐसी, जिसमें बंदरबांट होती है