Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jul 2020 · 1 min read

विश्वासघात

आदमी के विश्वासघात ने, कितना डरा दिया
बड़े-बड़े माननीयों को, बंधक बना लिया
जो कभी थे अपने, उन्होंने उठा लिए
कुछ आदमी उनके, इन्होंने उठा लिए
वैंसे तो है नामी होटल, बंदिशें जेल से ज्यादा लिए हुए
सख्त है पहरे, कोई आ जा नहीं सकता
नहीं है फोन मोबाइल, चारा डल नहीं सकता
कितने कीमती हैं ये आदमी, करोड़ों की बात होती है
सत्ता चीज ही है ऐसी, जिसमें बंदरबांट होती है

Language: Hindi
8 Likes · 4 Comments · 650 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
निष्ठुर संवेदना
निष्ठुर संवेदना
Alok Saxena
सत्य दृष्टि (कविता)
सत्य दृष्टि (कविता)
Dr. Narendra Valmiki
The Sky Above
The Sky Above
R. H. SRIDEVI
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मनु
मनु
Shashi Mahajan
*दर्शन करना है तो ठहरो, पथ में ठहराव जरूरी है (राधेश्यामी छं
*दर्शन करना है तो ठहरो, पथ में ठहराव जरूरी है (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
Rituraj shivem verma
दिल से कह देना कभी किसी और की
दिल से कह देना कभी किसी और की
शेखर सिंह
इश्क़ मत करना ...
इश्क़ मत करना ...
SURYA PRAKASH SHARMA
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
रास्ते
रास्ते
Ritu Asooja
"बगुला भगत"
Dr. Kishan tandon kranti
हम और तुम
हम और तुम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
Aaj Aankhe nam Hain,🥹
Aaj Aankhe nam Hain,🥹
SPK Sachin Lodhi
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
VINOD CHAUHAN
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
Yogendra Chaturwedi
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
छोड़ो  भी  यह  बात  अब , कैसे  बीती  रात ।
छोड़ो भी यह बात अब , कैसे बीती रात ।
sushil sarna
कुछ नहीं चाहिए
कुछ नहीं चाहिए
राधेश्याम "रागी"
जिंदगी वो है
जिंदगी वो है
shabina. Naaz
🙅आज का आह्वान🙅
🙅आज का आह्वान🙅
*प्रणय प्रभात*
कविता
कविता
Shiv yadav
3923.💐 *पूर्णिका* 💐
3923.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जिंदगी कंही ठहरी सी
जिंदगी कंही ठहरी सी
A🇨🇭maanush
विषय: शब्द विद्या:- स्वछंद कविता
विषय: शब्द विद्या:- स्वछंद कविता
Neelam Sharma
मैं बड़ा ही खुशनसीब हूं,
मैं बड़ा ही खुशनसीब हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"In the tranquil embrace of the night,
Manisha Manjari
*Fruits of Karma*
*Fruits of Karma*
Poonam Matia
अंधेरा छाया
अंधेरा छाया
Neeraj Mishra " नीर "
अपना तो कोई नहीं, देखी ठोकी बजाय।
अपना तो कोई नहीं, देखी ठोकी बजाय।
Indu Singh
Loading...