विवाह की 21वी वर्षगांठ
समय लगाके पंख उड़े हैं, यादें ही बस रह जाती हैं।
उन यादों में नोक झोंक और, खट्टी मीठी बातें रह जाती हैं।।
21 वर्ष तो बस ट्रेलर हैं ये, अभी तो पिक्चर रह जाती हैं।
प्राणप्रिये और प्रणेश्वरी तुम, प्राणप्रिय और प्राणनाथ मैं।।
समय लगाके पंख उड़े हैं, यादें ही बस रह जाती हैं।
कहने की ये बात नहीं हैं, कुछ बातें बस रह जाती हैं।।
मम्मा बॉय या गुलाम जोरू का, कहने को मैं सब हो जाता हूँ।
तालमेल जब करना हो तो, भोला भंडारी हो जाता हूँ।।
समय लगाके पंख उड़े हैं, यादें ही बस रह जाती हैं।
ललित अदा हैं मेरी देखो, मन्जू आँचल बन जाती हैं।।
मेरे वंश को बढ़ाके आगे, पितर ऋण से बचा जाती हैं।
आभारी हूँ सदा मैं तेरा, प्रेम का पाठ पढ़ा जाती हैं।।
समय लगाके पंख उड़े हैं…