विधि के दो वरदान
विधि के दो वरदान
हैं प्रेम और संगीत
कई जन्मों के कर्म
फल से होते प्रणीत
ईश्वर सोच समझकर
कुछ को देता वरदान
प्रेम और संगीत के बल
पर जो रचते नए मुकाम
विधि इच्छा से वो सतत
खुद करते रहते अभ्यास
फन की बदौलत बिखेरा
करते जग में नया प्रकाश
पं.जगन्नाथ से ले तानसेन
तक सबकी राम कहानी
दुनिया को बताती यही कि
उन पे थी रब की मेहरबानी