विद्यार्थी
संघर्षरत अभ्यर्थियों के लिए बिखरे हुए शब्दो में हुए कुछ पंक्तियां
तुम्हे क्या लगता है
आसान होता है?
इतनी सारी असफलताओं के बाद मुस्कराना
हां मानते है कमियां रह गई होंगी?
पर जब कई रेट की अधूरी नींद सवाल करने लगे
तब उसका क्या?
जब आपके कई दोस्त बिछड़ गए हो
उसका क्या?
जब भविष्य की चिजता से आपका सूरत ए हाल
बदल गया हो उसका क्या?
लडको को चिंता बिना नौकरी के रह नही सकते
वरना समाज क्या कहेगा?
लड़किया को फिक्र खुद को साबित नही कर पाए तो
इस बात का माला ताउम्र रहेगा।
ये कहना बहुत आसान है की
मेहनत नही कर रहे होंगे
कभी मेहनत से एक साल गुजार कर तो देखो
कभी असफलता का थप्पड़ खा कर तो देखो
फिर ये कहते हुए जचोगे तुम की
मेहनत नही कर रहा होगा।
ऐसा भी होता है की शीशे के सामने भी
खड़ा नही रहा जाता
वो शीशा चिढ़ता है और कहता है
ओ असफल इंसान कैसे हो
दिमाग लथपथ सा पड़ा है , दिल जख्मी बड़ा है
वक्त के थपेड़े ने शरीर को भी छलनी किया है।
पर इतना टूटने के बाद भी उम्मीद कि एक किरण जिंदा है
हार मानने वालो के आगे तो मुश्किल भी शर्मिंदा है।
कुछ परिणाम हमे असफल नही ठहरा सकते
न काबिलियत का ठप्पा हम पर नही लगा सकते
गौर कर तू है मुसाफिर और तू सर्वश्रेष्ठ मंजिल एक दिन पाएगा
और देखना ये जमाना जो हंस रहा है
एक दिन तालिया तेरे लिए बजायेगा