* विदा हुआ है फागुन *
** नवगीत **
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नई कोंपलों से पेड़ों को,
भर कर विदा हुआ है फागुन।
ठंडी ठंडी हवा चलेगी,
तपती दोपहरी में।
और सघन सी छाया होगी।
चुभन भरी गर्मी में।
पेड़ो पर पंछी गायेंगे,
सब हर्षित होंगे जिसको सुन।
सर्द ऋतु की जमी हुई अब,
उच्च शिखर की हिम पिघलेगी।
नदियों झरनों का बहता जल,
पीकर जग की प्यास बुझेगी।
घाटी पर्वत में गूँजेगी,
कलकल की मनभावन धुन।
पीपल बरगद की छाया में,
बच्चे बूढ़े मिल बैठेंगे।
दिन भर की बीती बातों में,
अपनी यादों को घोलेंगे।
जीवन के बिखरे सपनों को,
देखो सभी रहे हैं चुन।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य