विजय दिवस
विजय दिवस पर विजय तिरंगा सरहद पर फहरायेंगे।
दुश्मन की छाती पर चढ़ कर गाड़ तिरंगा आयेंगे।।
काशमीर की घाटी में काली करतूतें जो करते।
आज देख लो एक एक कर सेना के हाथों मरते।।
युद्ध कारगिल का हमने ही करके फतह दिखाया था।
सत्ता के ठेकेदारों ने बुजदिल हमें बनाया था।।
हम फौलादी चट्टानों को चूर चूर कर देते हैं।
अपनी ताकत से दुश्मन पर जीत दर्ज कर लेते हैं।।
अटल सत्य हैं अटल हाथ में सत्ता अटल रही होती।
उग्रवाद की भाषा अब तक विश्व पटल पर न होती।।
कहीं भूल से आतंकी हमला करना कोई सिखता।
मानचित्र पर दुनियां के जाहिल का नाम नहीं दिखता।।
स्वरचित व मौलिक सर्जन
©कौशल कुमार पाण्डेय “आस”बीसलपुरी।