विजयादशमी
मै ही सीता
मैं ही राम
मुझमें बसते
सीता-राम,
लक्ष्मण लक्ष्य
मेरा ही है,
भरत भाव,
कर्म,संज्ञान|
शत्रुहन लघु,
आरम्भ करे मन,
बन्द चक्षु
सब एक समान|
दशरथ मोह
के वश में रहते,
दशानन का है
दंभ महान,
राम की नवमी
विजयादशमी,
ज्ञान,समझ
कौशल विज्ञान||