क्या हक़ीक़त है ,क्या फ़साना है
कभी जिस पर मेरी सारी पतंगें ही लटकती थी
इश्क़ में ना जाने क्या क्या शौक़ पलता है,
ऐंठे- ऐंठे चल रहे, आज काग सर्वत्र ।
अब उसने अपना घर ढूंँढ लिया है
*रक्षाबंधन का अर्थ यही, हर नारी बहन हमारी है (राधेश्यामी छंद
आज एक अरसे बाद मेने किया हौसला है,
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
जन्मदिन विशेष : अशोक जयंती
उसकी कहानी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
खुद को इतना मजबूत बनाइए कि लोग आपसे प्यार करने के लिए मजबूर
* ये संस्कार आज कहाँ चले जा रहे है ? *