“विकृति”
वह एक सुन्दर नारी की नग्न मूर्ति थी, जो फ्रांस में प्रदर्शित की गई। वहाँ के लोगों ने उस मूर्ति की बेहद प्रशंसा की और मूर्तिकार के हुनर को बहुत सराहा।
जब वही मूर्ति एशिया के एक महान देश में प्रदर्शित की गई, तो लोग उत्तेजित हो गए। उसमें उनको सिर्फ नग्नता दिखलाई दी। उस मूर्ति को तोड़कर तहस-नहस कर दिए गए।
दोस्त ने पूछा- ऐसा क्यों ?
दरअसल वासना उस मूर्ति में नहीं, वरन् लोगों के मन में थी। जिस देश के पुरुष के मन मे नग्न स्त्री बसती हो, वह बलात्कार ही करेगा, कोई अविष्कार नहीं।
आज प्रेमी जोड़ों को प्रताड़ना का कारण भी यही है।
मेरी प्रकाशित कृति :
मन की आँखें- लघुकथा संग्रह
(दलहा, भाग- 1) से,,,,।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त ।