“वाह रे जमाना”
“वाह रे जमाना”
हमने सारी कायनात ढूँढ़ डाली मगर
आँसुओं की तरह कोई हमदम नहीं होता,
जिन्दगी में हर मोड़ पर मिलते हैं गम
सोचिए जिन्दा रहना भी कम नहीं होता।
“वाह रे जमाना”
हमने सारी कायनात ढूँढ़ डाली मगर
आँसुओं की तरह कोई हमदम नहीं होता,
जिन्दगी में हर मोड़ पर मिलते हैं गम
सोचिए जिन्दा रहना भी कम नहीं होता।