Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Apr 2024 · 1 min read

“वाह रे जमाना”

“वाह रे जमाना”
हमने सारी कायनात ढूँढ़ डाली मगर
आँसुओं की तरह कोई हमदम नहीं होता,
जिन्दगी में हर मोड़ पर मिलते हैं गम
सोचिए जिन्दा रहना भी कम नहीं होता।

1 Like · 1 Comment · 39 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all
You may also like:
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सूली का दर्द बेहतर
सूली का दर्द बेहतर
Atul "Krishn"
किरदार हो या
किरदार हो या
Mahender Singh
चाय की प्याली!
चाय की प्याली!
कविता झा ‘गीत’
"रिश्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
बड़ा गहरा रिश्ता है जनाब
शेखर सिंह
सुनले पुकार मैया
सुनले पुकार मैया
Basant Bhagawan Roy
23/61.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/61.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
अति मंद मंद , शीतल बयार।
अति मंद मंद , शीतल बयार।
Kuldeep mishra (KD)
नमो-नमो
नमो-नमो
Bodhisatva kastooriya
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
तर्कश से बिना तीर निकाले ही मार दूं
Manoj Mahato
दूर की कौड़ी ~
दूर की कौड़ी ~
दिनेश एल० "जैहिंद"
आधुनिक बचपन
आधुनिक बचपन
लक्ष्मी सिंह
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
Lokesh Sharma
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
*धरती हिली ईश की माया (बाल कविता)*
Ravi Prakash
कहना तो बहुत कुछ है
कहना तो बहुत कुछ है
पूर्वार्थ
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
कोई ऐसा बोलता है की दिल में उतर जाता है
कवि दीपक बवेजा
पूछो ज़रा दिल से
पूछो ज़रा दिल से
Surinder blackpen
खुद को इतना .. सजाय हुआ है
खुद को इतना .. सजाय हुआ है
Neeraj Mishra " नीर "
*बदलाव की लहर*
*बदलाव की लहर*
sudhir kumar
I'm not proud
I'm not proud
VINOD CHAUHAN
दीवाली
दीवाली
Mukesh Kumar Sonkar
भावनाओं की किसे पड़ी है
भावनाओं की किसे पड़ी है
Vaishaligoel
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
तुम गर मुझे चाहती
तुम गर मुझे चाहती
Lekh Raj Chauhan
तुम,दर-दर से पूछ लो
तुम,दर-दर से पूछ लो
Inder Bhole Nath
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
Manisha Manjari
शिवोहं
शिवोहं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...