Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2024 · 1 min read

मानी बादल

हरियाली खोई बहाव में,
धूसर हो गई धरती की,
प्यारी-प्यारी चूनर धानी।
कितने बरसे बादल मानी?
पानी में डूबे गाॅंव-गाॅंव ,
कहाॅं जले चूल्हे औ’अलाव?
चारों तरफ पानी पानी।
कितने बरसे बादल मानी?
बिछड़े परिजन यूं बिलख रहे,
बच्चे भी भूख से तड़प रहे,
कैसी लिखी करुण कहानी?
कितने बरसे बादल मानी?
कल की चिंता ले ऑंखों में,
वे सिमटे भीगी पाॅंखों में,
फिर जुटाना दाना- पानी।
कितने बरसे बादल मानी?
कितना विचित्र खेल नियति का
कहीं बाढ़ कहीं है सूखा ।
ना करो प्रकृति से छेड़खानी
कितने बरसे बादल मानी ?

प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
अलवर (राजस्थान)

Language: Hindi
1 Like · 17 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
View all
You may also like:
खुलेआम जो देश को लूटते हैं।
खुलेआम जो देश को लूटते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
आज़ादी के बाद भारत में हुए 5 सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना
Shakil Alam
आलसी व्यक्ति
आलसी व्यक्ति
Paras Nath Jha
भोर
भोर
Omee Bhargava
पहचाना सा एक चेहरा
पहचाना सा एक चेहरा
Aman Sinha
........,,?
........,,?
शेखर सिंह
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फ़ैसले का वक़्त
फ़ैसले का वक़्त
Shekhar Chandra Mitra
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
अंधेरों में अंधकार से ही रहा वास्ता...
कवि दीपक बवेजा
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
दिल को तेरी
दिल को तेरी
Dr fauzia Naseem shad
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
आर.एस. 'प्रीतम'
*जमीं भी झूमने लगीं है*
*जमीं भी झूमने लगीं है*
Krishna Manshi
आदमी की गाथा
आदमी की गाथा
कृष्ण मलिक अम्बाला
■ समझदारों के लिए संकेत बहुत होता है। बशर्ते आप सच में समझदा
■ समझदारों के लिए संकेत बहुत होता है। बशर्ते आप सच में समझदा
*प्रणय प्रभात*
जवाला
जवाला
भरत कुमार सोलंकी
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
साहित्य सत्य और न्याय का मार्ग प्रशस्त करता है।
पंकज कुमार कर्ण
गद्दार है वह जिसके दिल में
गद्दार है वह जिसके दिल में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जाते हैं संसार से, जब सब मानव छोड़ (कुंडलिया)
जाते हैं संसार से, जब सब मानव छोड़ (कुंडलिया)
Ravi Prakash
सुहागन का शव
सुहागन का शव
अनिल "आदर्श"
माँ सुहाग का रक्षक बाल 🙏
माँ सुहाग का रक्षक बाल 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
सतरंगी इंद्रधनुष
सतरंगी इंद्रधनुष
Neeraj Agarwal
चार लाइनर विधा मुक्तक
चार लाइनर विधा मुक्तक
Mahender Singh
"कथा" - व्यथा की लिखना - मुश्किल है
Atul "Krishn"
झील किनारे
झील किनारे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
एक समय वो था
एक समय वो था
Dr.Rashmi Mishra
देश और जनता~
देश और जनता~
दिनेश एल० "जैहिंद"
माँ मेरी जादूगर थी,
माँ मेरी जादूगर थी,
Shweta Soni
Loading...