“वाह नारी तेरी जात”
“वाह नारी तेरी जात”
बाबुल के घर संज्ञा रह कर
बालम यहाँ सर्वनाम हुई,
सारा संसार सजाकर भी तू
हर कदम बदनाम हुई।
सारे उपसर्ग छूट गए कहीं
बचे रह गए ‘कु’,
कहीं-कहीं पर ‘बद’ दिखे
स्वप्न में लगे ‘दु’।
“वाह नारी तेरी जात”
बाबुल के घर संज्ञा रह कर
बालम यहाँ सर्वनाम हुई,
सारा संसार सजाकर भी तू
हर कदम बदनाम हुई।
सारे उपसर्ग छूट गए कहीं
बचे रह गए ‘कु’,
कहीं-कहीं पर ‘बद’ दिखे
स्वप्न में लगे ‘दु’।