वास्तविक ख़तरा किसे है?
न तो धर्म
ख़तरे में है
न ही ईमान
ख़तरे में है!
न सभ्यता
और संस्कृति की
पहचान
ख़तरे में है!!
अपने अधिकारों
को लेकर
चौकस हुए
अवाम से!
कातिलों
और लूटेरों का
निज़ाम
ख़तरे में है!!
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