वाद -विवाद
वाद-विवाद ..
लो फिर आ गई एक तस्वीर
जो देगी कलेजा चीर
फिर इस पर चंद क़सीदे लिखे जाएँगे
संचार पर कुछ विचार किए जाएंगे
संसद में फिर होंगे कुछ वाद विवाद
इक दूजे पर जम कर छींटे कसे जाएँगे
कौन है इसका ज़िम्मेदार पता लगाओ
ये गुत्थी कैसे सुलझेगी कोई बतलाओ
किसने छापी है यह बेबुनियाद तस्वीर
जाओ उस कमबख़्त को पकड़ कर लाओ
इस पेट के पीड़ की किसको पड़ी है
बस फोटोग्राफर की करनी खाट खड़ी है
क्यों करा रहे हो हमारा सच से सामना
हमारी भी सोचो तुम्हें बस दुनिया की पड़ी है
बस अगले ही पल उतर गई तस्वीर
उसको भी सँवारनीं थी अपनी तक़दीर
घर पर थे बच्चे भूखे मायूस आस लगाए
ग़रीबी की भट्टी में झोंक आया अपना ज़मीर
रेखांकन।रेखा