Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Mar 2019 · 1 min read

वादों का घोड़ा

लो जी सरपट लगा दौड़ने,
फिर वादों का घोड़ा।

कोठी हो या झोंपड़पट्टी,
सबको शीष नवाता।
पीठ चढ़ाकर बड़े प्रेम से,
स्वप्नलोक पहुँचाता।
कुर्सी पर जमने को आतुर,
सुबहो-शाम निगोड़ा।
लो जी सरपट लगा दौड़ने,
फिर वादों का घोड़ा।

मत पूछो इसने किस किसको,
कितना दूर भगाया।
किस से कितना कहाँ-कहाँ पर,
‘चारा’ लेकर खाया।
पाँच वर्ष में आया वापस,
फैल गया है ‘थोड़ा’।

लो जी सरपट लगा दौड़ने,
फिर वादों का घोड़ा।
****
©®
????
– राजीव ‘प्रखर’
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 411 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़़ज़ल
ग़़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
योगी है जरूरी
योगी है जरूरी
Tarang Shukla
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
वो मेरे बिन बताए सब सुन लेती
Keshav kishor Kumar
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
Smriti Singh
दोस्ती
दोस्ती
लक्ष्मी सिंह
डर - कहानी
डर - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रैन  स्वप्न  की  उर्वशी, मौन  प्रणय की प्यास ।
रैन स्वप्न की उर्वशी, मौन प्रणय की प्यास ।
sushil sarna
World Dance Day
World Dance Day
Tushar Jagawat
3146.*पूर्णिका*
3146.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नमन माँ गंग !पावन
नमन माँ गंग !पावन
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बेकसूरों को ही, क्यों मिलती सजा है
बेकसूरों को ही, क्यों मिलती सजा है
gurudeenverma198
सवाल जिंदगी के
सवाल जिंदगी के
Dr. Rajeev Jain
मैं अकेला महसूस करता हूं
मैं अकेला महसूस करता हूं
पूर्वार्थ
समझदारी ने दिया धोखा*
समझदारी ने दिया धोखा*
Rajni kapoor
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
बिना कोई परिश्रम के, न किस्मत रंग लाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
अपना पराया
अपना पराया
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
'हक़' और हाकिम
'हक़' और हाकिम
आनन्द मिश्र
*चलो आओ करें बच्चों से, कुछ मुस्कान की बातें (हिंदी गजल)*
*चलो आओ करें बच्चों से, कुछ मुस्कान की बातें (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
अनिल कुमार
हे मृत्यु तैयार यदि तू आने को प्रसन्न मुख आ द्वार खुला है,
हे मृत्यु तैयार यदि तू आने को प्रसन्न मुख आ द्वार खुला है,
Vishal babu (vishu)
दलित समुदाय।
दलित समुदाय।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
"गाली"
Dr. Kishan tandon kranti
बच्चे
बच्चे
Shivkumar Bilagrami
" ज़ेल नईखे सरल "
Chunnu Lal Gupta
-- मुंह पर टीका करना --
-- मुंह पर टीका करना --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
■ मुक्तक-
■ मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
I lose myself in your love,
I lose myself in your love,
Shweta Chanda
टेंशन है, कुछ समझ नहीं आ रहा,क्या करूं,एक ब्रेक लो,प्रॉब्लम
टेंशन है, कुछ समझ नहीं आ रहा,क्या करूं,एक ब्रेक लो,प्रॉब्लम
dks.lhp
Loading...