Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Oct 2023 · 1 min read

ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,

ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
पैर सिकुड़ कर बैठा है, हरियाणा गुड़गांव के अंदर

191 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
प्रार्थना
प्रार्थना
Dr.Pratibha Prakash
2692.*पूर्णिका*
2692.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
साहित्य गौरव
गरीबी की उन दिनों में ,
गरीबी की उन दिनों में ,
Yogendra Chaturwedi
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
क्या कहुं ऐ दोस्त, तुम प्रोब्लम में हो, या तुम्हारी जिंदगी
लक्की सिंह चौहान
सबला
सबला
Rajesh
दो शरारती गुड़िया
दो शरारती गुड़िया
Prabhudayal Raniwal
कम साधन में साधते, बड़े-बड़े जो काज।
कम साधन में साधते, बड़े-बड़े जो काज।
डॉ.सीमा अग्रवाल
,...ठोस व्यवहारिक नीति
,...ठोस व्यवहारिक नीति
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
संत हृदय से मिले हो कभी
संत हृदय से मिले हो कभी
Damini Narayan Singh
मैं तो महज पहचान हूँ
मैं तो महज पहचान हूँ
VINOD CHAUHAN
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
मेहनत कड़ी थकान न लाती, लाती है सन्तोष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
देवतुल्य है भाई मेरा
देवतुल्य है भाई मेरा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बेटा ! बड़े होकर क्या बनोगे ? (हास्य-व्यंग्य)*
बेटा ! बड़े होकर क्या बनोगे ? (हास्य-व्यंग्य)*
Ravi Prakash
*जीवन खड़ी चढ़ाई सीढ़ी है सीढ़ियों में जाने का रास्ता है लेक
*जीवन खड़ी चढ़ाई सीढ़ी है सीढ़ियों में जाने का रास्ता है लेक
Shashi kala vyas
मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे
मेरे मालिक मेरी क़लम को इतनी क़ुव्वत दे
Dr Tabassum Jahan
बाबूजी
बाबूजी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुहब्बत
मुहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
💐 Prodigy Love-27💐
💐 Prodigy Love-27💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
VEDANTA PATEL
हे राम ।
हे राम ।
Anil Mishra Prahari
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
उपमान (दृृढ़पद ) छंद - 23 मात्रा , ( 13- 10) पदांत चौकल
Subhash Singhai
तुमसा तो कान्हा कोई
तुमसा तो कान्हा कोई
Harminder Kaur
"हालात"
Dr. Kishan tandon kranti
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
Manisha Manjari
हाइकु- शरद पूर्णिमा
हाइकु- शरद पूर्णिमा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
फितरत
फितरत
Mukesh Kumar Sonkar
Loading...