वह हंस रहा था
कविता
वह हंस रहा था
*अनिल शूर आज़ाद
मै बुरी तरह परेशान था
मगर वह हंस रहा था
क्रोध में पागल था मै
पर..बेखबर वह..हंस रहा था
सर्वस्व हड़प जाने को मै तत्पर था
किन्तु..बेफिक्र वह..हंस रहा था
शक्ति-मद में..मै चूर था
लेकिन..वह मासूम..हंस रहा था
निर्मल,निश्छल,उज्ज्वल,ईश्वर सा
वह एक साधारण शिशु था
जो..पावन,सरल
सहज..हंस रहा था।