– वह मूल्यवान धन –
– वह मूल्यवान धन –
आशा है वह मूल्यवान धन की
जो मिले सबसे सरल किताबों से
जो मिले सबसे कड़वा अनुभव से
आशा हैं वह मूल्यवान धन की
जिसमें सुरज भी हैं , और उजाला भी हैं
ना रहे अज्ञान , उस रात के समान ,
जिसमें ना चाँद हैं , ना तारे – सितारे हैं
आशा है वह मूल्यवान धन की
जिसे आयकर वाले ले जा सकते है
जिसे न चोर चुरा सकते है
जिसका न कभी अवक्षेप होता है
आशा है वह मूल्यवान धन की
वह कुएँ के समान हैं
हम बाल्टी के समान हैं
जिसकी जितनी ग्रहन-शक्ति है
बाल्टी में पानी उतना ही आयेगा
आशा है वह मूल्यवान धन की
जिसकी उम्र छोटी हो या बड़ी हो
सभी को ग्रहण करना है
विनम्रता को सदा साथ रखना है
अंहकार को गुलाम नहीं बनाना हैं
वह
मुल्यवान धन “ज्ञान” हैं, विद्या हैं ।
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– राजू गजभिये