वह चल दिया है।
यूँ लगाकर गले माँ को वह चल दिया है।
बद किस्मती ने बिछड़ने का पल दिया है।।1।।
सारे के सारे ही उससे बात ना कर रहे है।
गैर सा बन के अपने ही घर मे रह रहा है।।2।।
अबतो बस उसको बीते पलों में जीना है।
भरेगा नही जिंदगी जो तूमने गम दिया है।।3।।
ख्वाहिश ना दिखती है उसके दिल मे तो।
वो लगता है जिंदगी को जी भर जिया है।।4।।
चांदी के हंटर से ये बादल कड़क रहा है।
कहीं ना कहीं पर खुदा का कहर गिरा है।।5।।
क्यों दिखते नहीं है बशर यहाँ पर कहीं।
कैसे बर्बाद सारा का सारा शहर हुआ है।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ