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17 May 2024 · 1 min read

12. *नारी- स्थिति*

युग बदल गये, सदियां बदल रही,
पर…
नहीं बदली अभी नारी की परिस्थिती ।
यूं तो चांद पर भी पहुंच गई है नारी,
पर…
नारी की जिंदगी है वही चारदिवारी।
हर क्षेत्र में कमाल कर रही है नारी …
पर फिर भी पुरुष रहता है इस पर भारी।
कदम से कदम मिला कर चलती है आज नारी,
फिर भी इसकी जिंदगी रुकी रहती वही की वहीं
गर अपने ही अधिकार के लिए कभी आवाज उठाती…
उसके अपने ही होने लगते है उस पर हावि ।
खामोशी से झेल- झेल कर परेशानी…
खुद में ही सिमट कर रह जाती है नारी ।
हरे क्षेत्र में बुलन्दियों को छूकर भी…
अपनों की खुशी के लिए, जीतकर भी हार जाती है नारी
कंधे से कंधा मिलाकर आशियाना संवार कर…
‘मधु’ उसमें अपने ही अस्तित्व को तलाशती है नारी।

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